...

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अंधेरी रात
तरु की डाली झुकी
एक बार मेरी नजरें रुकी
फिर भय से मेरा प्राण उड़ा
जैसे लगा कोई पास हो खड़ा

बीच अंधेरी रात में
कोई भी न था साथ में
तनिक आवाज भी डरा गई
एक शीतल हवा आलिंगन लगा गई
© sushant kushwaha