अंधेरी रात
तरु की डाली झुकी
एक बार मेरी नजरें रुकी
फिर भय से मेरा प्राण उड़ा
जैसे...
एक बार मेरी नजरें रुकी
फिर भय से मेरा प्राण उड़ा
जैसे...