पुरानी यादों और नए वादों का किस्सा ••••
कितना अजीब है ना,
*दिसंबर और जनवरी का रिश्ता?*
जैसे पुरानी यादों और नए वादों का किस्सा...
दोनों वक़्त के राही है,
दोनों ने ठोकर खायी है...
यूँ तो दोनों का हैं
वही चेहरा-वही रंग,
उतनी ही तारीखें और
उतनी ही ठंड...
पर पहचान अलग है दोनों की
अलग है अंदाज़ और
अलग हैं ढंग...
एक अन्त है,
एक शुरुआत
जैसे रात से सुबह,
और सुबह से रात...
एक में याद है
दूसरे मे आस,
एक को है तजुर्बा,
दूसरे को विश्वास...
दोनों जुड़े हुए है...
*दिसंबर और जनवरी का रिश्ता?*
जैसे पुरानी यादों और नए वादों का किस्सा...
दोनों वक़्त के राही है,
दोनों ने ठोकर खायी है...
यूँ तो दोनों का हैं
वही चेहरा-वही रंग,
उतनी ही तारीखें और
उतनी ही ठंड...
पर पहचान अलग है दोनों की
अलग है अंदाज़ और
अलग हैं ढंग...
एक अन्त है,
एक शुरुआत
जैसे रात से सुबह,
और सुबह से रात...
एक में याद है
दूसरे मे आस,
एक को है तजुर्बा,
दूसरे को विश्वास...
दोनों जुड़े हुए है...