...

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जो सच में तुम्हारा होगा....
जो सच में तुम्हारा होगा........
वो एक दिन,तुम्हारा घर का पता ढूंढते हुए....
तुम्हारे लिए,तुम्हारे माता -पिता से बात करने खुद ही पहुंच जाएगा...

उसके लिए ना तो तुम्हें,किसी के कहने पर या कहीं बुलाने पर..
सबसे छिपते - छुपाते किसी से भी कही भी मिलने जाने की ज़रूरत है...

और ना ही हर दिन किसी के लिए, ख़ुद की उपस्थिति देना ज़रूरी है...
किसी के कहने पर, ना तो अपना तन,मन,धन,
और अपना कीमती वक्त....
सब कुछ उस पर न्यौछावर करने की ज़रूरत है...........
"ना ही किसी भी चांद पर...