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पुरुष
तुम मर्द हो...
थोड़ा सा सख़्त मन रखकर
खूब सारी जिम्मेदारियाँ निभाना
मर्द को दर्द नही होता...
दर्द में भी मुस्कुराना
तकलीफों को छिपाना
लड़के कहाँ रोते हैं....
आँसुओं मत गिराना
ज़माने को मत दिखाना
मन की सारी कोमलता
जब कठोरता में ढ़लती है
तब एक पुरुष पूर्ण होता है.....
© Garg sahiba
थोड़ा सा सख़्त मन रखकर
खूब सारी जिम्मेदारियाँ निभाना
मर्द को दर्द नही होता...
दर्द में भी मुस्कुराना
तकलीफों को छिपाना
लड़के कहाँ रोते हैं....
आँसुओं मत गिराना
ज़माने को मत दिखाना
मन की सारी कोमलता
जब कठोरता में ढ़लती है
तब एक पुरुष पूर्ण होता है.....
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