ग़ज़ल
हिज्र बनके सुकून निकलेगा
इश्क़ का अब जुनून निकलेगा
दिल लगाने की ये सज़ा है अब
आँख से मेरे खून...
इश्क़ का अब जुनून निकलेगा
दिल लगाने की ये सज़ा है अब
आँख से मेरे खून...