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आत्म ज्ञान
देखो बड़ी तीव्रता से बहती जा रही ये बेहोशी का बहाव।
ये चेतना के ऊपर बन बैठी है घाव।
हम सब इस बेहोशी की बहाव में बहते चले जा रहे।
अंदर में बैठा एक जानवर हाथों में कैंडल लिए मगरमच्छ के आसूं बहाए जा रहे ।
ये तन से रोता मन ,मन से न कभी रोया ये मन
ये नारी ये स्त्री हमारे लिए क्यों ?हो जाती एक वस्तु (materliastic)एक परलोभन।
बहन बेटियों की ये दुर्दशा होते देख ये आँखें बस रोती ये आत्मा ना रोती 😭😭😭😭😭😭जब बहन बेटियों की इज्जत की चिर हरण होती।
क्या?ये सिलसिला यू ही चलता रहेगा बाहरी तथ्यों का हवाला देकर ,एक दुसरे के ऊपर दोषारोपण करके क्या ये इंसान खुद से न कुछ कहेगा।
क्या? हम ऐसी ही बेहोशी की बहाव में चेतना के अभाव में यू ही बहते रहेंगे ।
कब तक अंदर में बैठा ये हवसी जानवर हाथों में कैंडल लिए बस मगरमच्छ के आसूं बहाते रहेंगे।
ये एक दूसरे के ऊपर दोषारोपण करके क्या ? खुद से खुद को न कुछ कहेंगे।
देखो बड़ी तीर्वता से हम सब
बेहोशी की बहाव में बहते चले जा रहे
क्यों?हम खुद से कम दूसरे से ज्यादा प्रभावित होते जा रहे ?
अपनी चेतना से विमुख होकर अपनी इंद्रियों की तिरीप्ति की और बड़ी तेजी से अग्रसर होते जा रहे ।
ये दर्दनाक ये खौफनाक मंजर देख हम भाईयो की चित मन बड़े घबरा रहे ।
ये हाथो में कैंडल लिए ये हब्शी जानवर मगरमच्छ के आसूं क्यूं? बहा रहे ।
देख लो ये मानव हम लोग किस कदर बेहौशी के बहाव में बहते चले जा रहे....................🙏🙏🙏🙏

चलो इस रक्षाबंधन करते हम खुद में मंथन
हम अपनी बहन के आलावा दूसरी की बहन बेटियों को क्यों ?न मानते हम बहन😭😭😭

© aman 8111819@