...

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FOR SOMEONE'S BROWN EYES~
ये दो भूरी आँखें ..
और बीच में चाँद सितारें ,
मदहोशी का तो आलम ना पूछो ..
कितने मदहोश है इनके मारे,
मानो महक उठे हो आज कण-कण सारे ..,

इस मन की मायूसी ना जानो ..
इस दिल की बेचैनी ना पूछो ..
दूर है उनसे हम इतने ..
बस बैठे है किस्मत के मारे ..
बस बैठे है किस्मत के मारे ,,,
ये दो भूरी आँखें और बीच में चाँद सितारें ..

© अल्फ़ाज़~ए~नरेंद्र

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