...

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पतझड़
वो जिंदगी में आए एक ख्वाब की तरह,
इस दिल की बगिया में फूल खिले गुलाब की तरह।
उनका मुसकाना हमें जान कहकर बुलाना,
और हमारे इस मुरझाए चेहरे पर खुशी का छा जाना।
धीरे-धीरे उनका नशा हम पर चढ़ने लगा,
फिर तो बस ये दिल बिना उनके मरने लगा।
दुनिया की इस भीड़ में भी बस वो-ही-वो नज़र आने लगे,
और धीरे-धीरे हम सबसे दूर जाने लगे।
सबसे दूर होकर साथ हम उनका भी पा ना सकें,
और वो हंसते हुए कहते हैं कि हम उन्हें चाह ना सकें।
धीरे-धीरे वो हमसे दूर होते चले गए,
और हम इस दुनिया की भीड़ में खोते चले गए।
उनका हमसे दूर जाना जैसे बंसत के बाद पतझड़ का आ जाना,
और हमारी खुशियों की इस दुनिया में उदासी का छा जाना।


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