मैंने खरोंच ली...
मैंने पहचान तक खरोंच ली अपनी,
कि उनके नाख़ूनों के घाव थे लगे भरने...
फिर कोई ज़ख़्म ख़ाली किया मैंने,
कैसे भरी रह गई...
कि उनके नाख़ूनों के घाव थे लगे भरने...
फिर कोई ज़ख़्म ख़ाली किया मैंने,
कैसे भरी रह गई...