जज़्बात
हाथ में लेकर कागज़, कलम, दवात.
कर दिए बयां हमने रूह ए_जज़्बात.
तुम पर गुजरेगी, तब तुम्हे समझेगी,
आसान नहीं समझना दिल की बात.
सारे रिश्ते नाते हो जाते फिर पराए,
गम के अंधेरे में कोई देता नही साथ.
किस पे यकीन करे, इस ज़माने में,
देखा है सभी दिखाते है अपनी जात.
श्रद्धा_सबूरी रख, ए मालिक के बंदे,
दिन भी निकलेगा, ढल जाएगी रात.
© मानसी की कलम✍️
कर दिए बयां हमने रूह ए_जज़्बात.
तुम पर गुजरेगी, तब तुम्हे समझेगी,
आसान नहीं समझना दिल की बात.
सारे रिश्ते नाते हो जाते फिर पराए,
गम के अंधेरे में कोई देता नही साथ.
किस पे यकीन करे, इस ज़माने में,
देखा है सभी दिखाते है अपनी जात.
श्रद्धा_सबूरी रख, ए मालिक के बंदे,
दिन भी निकलेगा, ढल जाएगी रात.
© मानसी की कलम✍️
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