...

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दिवाना था मैं उसका ....
दिवाना था मैं उसका ,
वो थी किसी और की ।
ज़माना था मैं उसका,
वो किसी और की ।

कहती थी है प्यार तुमसे ,
खुशी ही इसमें गजब थी ।
पर रहती वो इलावा,
ये बात बड़ी अजब थी।

समझ पाता ,
न समझा पाता मैं खुद को,
की वो थी मुझ में या ,
सिर्फ लम्स थी ।

आमादा था
मैं उसके इकरार में ,
वो पोशीदा थी ,
औरों के प्यार में।

अज्मत ही थी
उसकी मैं औरों को
पैगाम में।
हाला की वो निकले ,
मेरे आम में ।

दिवाना था मैं उसका ,
वो थी किसी और की ।
ज़माना था मैं उसका,
वो किसी और की ।





© ankesh