...

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भरोसा
नज़रों से दूर चले जाओगे लेकिन
निगाहों से दूर जा ना पाओगे
जिस्म से दूरी बना लो मगर
दिल से तो दूर जा ना पाओगे
मेरी तस्वीर तो फ़ाड़ दी मगर
मन में बसी है जो सूरत
उसे भला कैसे मिटाओगे
खिजां में गिरेंगे पत्ते चनारों से
मन के गुलशन को कैसे जलाओगे
अपनी मुहब्बत और तुम्हारी वफ़ा पर है भरोसा
एक दिन लौट के ज़रूर आओगे
© सरिता अग्रवाल