ख़्वाब से बाहर आ गए हैं हम
ख़्वाब से बाहर आ गए हैं हम
एक परदा हटा दिए हैं हम।
खा के ठोकर भी राह ना बदले
एक ही रस्ते पे चले हैं हम।
तेरे मैसेज को पढ़ें जब जब
तेरी आवाज़ को सुने हैं हम।
आपको पहले सोचा है हमने
बाद में आपसे मिले हैं हम।
हाल ए दिल जानते हैं ख़ुद की और
अजनबी से बने हुए हैं हम।
2122 1212 112/22
© Shadab
#khwaab #Gazal #Ajnabee #philosophy #phsychology #Love&love #seperation
एक परदा हटा दिए हैं हम।
खा के ठोकर भी राह ना बदले
एक ही रस्ते पे चले हैं हम।
तेरे मैसेज को पढ़ें जब जब
तेरी आवाज़ को सुने हैं हम।
आपको पहले सोचा है हमने
बाद में आपसे मिले हैं हम।
हाल ए दिल जानते हैं ख़ुद की और
अजनबी से बने हुए हैं हम।
2122 1212 112/22
© Shadab
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