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खेल
पहले तो बस इश्क़ था अब शादी भी खेल हो गया हैं,
रिश्ता दिल का नहीं बस दो परिवारों का मेल हो गया हैं,
जाती और रुतबा देखते हैं नहीं देखते तो बस सीरत
हर कमी हर ऐब ढक जाता हैं आगे जायदाद की मूरत,
जन्मों का नाता अब एक ही जीवन में कैसे सेल हो गया हैं,
जब सोच नहीं मिलती तो अलग हो जाते हैं,
उम्र भर का नाता बड़ी आसानी से तोड़ आते हैं,
नहीं सोचता कोई क्यों खुशियों का नाता
दर्द भरी जेल हो गया हैं,
पहले तो बस इश्क़ था अब शादी भी खेल हो गया हैं,
© taj
रिश्ता दिल का नहीं बस दो परिवारों का मेल हो गया हैं,
जाती और रुतबा देखते हैं नहीं देखते तो बस सीरत
हर कमी हर ऐब ढक जाता हैं आगे जायदाद की मूरत,
जन्मों का नाता अब एक ही जीवन में कैसे सेल हो गया हैं,
जब सोच नहीं मिलती तो अलग हो जाते हैं,
उम्र भर का नाता बड़ी आसानी से तोड़ आते हैं,
नहीं सोचता कोई क्यों खुशियों का नाता
दर्द भरी जेल हो गया हैं,
पहले तो बस इश्क़ था अब शादी भी खेल हो गया हैं,
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