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khud se guftgu 2
आज दिन कुछ बदला बदला सा है,
शायद कुछ khney की कोशिश ये कर रहा है।
खुली आंखों से सपने देख,
शायद यही कहना चाह रहा है।
तू क्यों परेशान होता है, कल का
सोच कर।
आगे बढ़।
माना वो कल बहुत पीड़ा देता है तुझे
To ussi पीड़ा से उठकर जीना sikh
वो मोहब्बत ही क्या jisme सुकून नाह मिले और वो हमसफ़र ही क्या को साथ नाह निभा सके।
वो दिन भी कितना hassnuma होगा
जिस दिन तेरा manzil से मिलना होगा।
शायद कुछ khney की कोशिश ये कर रहा है।
खुली आंखों से सपने देख,
शायद यही कहना चाह रहा है।
तू क्यों परेशान होता है, कल का
सोच कर।
आगे बढ़।
माना वो कल बहुत पीड़ा देता है तुझे
To ussi पीड़ा से उठकर जीना sikh
वो मोहब्बत ही क्या jisme सुकून नाह मिले और वो हमसफ़र ही क्या को साथ नाह निभा सके।
वो दिन भी कितना hassnuma होगा
जिस दिन तेरा manzil से मिलना होगा।
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