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इत्तेफ़ाक
#इत्तेफ़ाक

जिंदगी का सफर, अंजान रंगों से भरा
नया साथ मिला, तो कोई पुराना छूटा
फूलों से भरे अपने गुलशन में
मन बावरा, चंचल महकता रहा
कभी हसीन, कभी उदास, ये इत्तेफ़ाक रहा ।

रक्त धमनियों में, छुपकर जो आया
जीवन सफर, अब अंत, मन पाया
छोड़ साथ मेरा, आसमां भी नेह बरसाया
अजनबियों में, खुद को घिरा जब पाया
कभी हसीन, कभी उदास, ये इत्तेफ़ाक रहा ।

मन की चाहत, क्यों न समझ पाया
जुदा कर अपने से, कोख जाया मुस्काया
मेरा ही आंगन, आज मुझे, न पहचान पाया
जीवन की दूसरी पारी, जब खेलने, मन फिर से आया 😊
कभी हसीन, कभी उदास, ये इत्तेफ़ाक रहा ।

रजनी भंडारी 'मन'
ग्रेटर नोएडा
(स्वरचित)
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