...

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तुम्हारा शुक्रिया मेरे सपनो में आने के लिए।
जब- जब जिन्दगी की दौड़ में,
मैं खुद को पिछड़ा पाता हूं और हो जाता हूं तन्हा,
जब ये दुनिया,ये समाज,ये राजनीति लगने लगती है बुरी और काटने लगती है बेचैनियाँ।
तब-तब हर बार मेरे स्वपन में आई हो तुम,एक उम्मीद की तरह और सोचने लगता हू की
अब भी इस दुनिया में हैं कुछ मुस्कानें, कुछ प्यार, हैं कुछ ज़िन्दा-दिल,जिनके साथ जिया जा सकता है, जिन्दगी के ये कड़वे घूंट पिए जा सकते है।

तुम्हारी बदौलत में हर बार उठ खड़ा हुआ हु कई ख्वाब लिए,
दोबारा दौड़ने लगा अपने हर उस ख्वाब को पूरा करने जो हर बार मैने देखे है तुम्हारे साथ अपने स्वपन में,

तुम्हारा शुक्रिया मेरे सपनो में आने के लिए।
© Bunty Dholpuria