प्रकृति
माँ की गोद जिसमें बच्चा जन्म लेते ही रहने लगता है, उसे वही संसार लगता है, एक आरामदायक दुनिया जहाँ सब कुछ लुटा देती है माँ उसको पालने में, अच्छा इंसान बनाने में और जिंदगी भर हम उसका कर्ज निभाते हैं, माँ पे जरा सी आँच आने पर हम जान दे देते है तो क्या प्रकृति जिसकी गोद में जन्म लिए हैं, बड़े होने पर उससे खिलवाड़ करें | प्रकृति में हर चीज का संतुलन है पर हम अपने स्वार्थ के लिए असंतुलित करते जा रहे हैं जिसके दुष्प्रभाव सभी देख रहे है या देखेंगे |
एक भंवरा एक जंगल में रोज आता था, हम उस प्रकृति की साये में, उसकी...