माँ
#MothersDayPoem
कलम भर से तुझे परिभाषित कर ना पाऊ
धरा पर स्वरूप तुझसा कोई कहाँ माँ
इश्वर को मैने देखा नही, जरुर तेरा अंश ही होगा माँ,
दोशला लाद्ते फिरती हुँ पर तेरे...
कलम भर से तुझे परिभाषित कर ना पाऊ
धरा पर स्वरूप तुझसा कोई कहाँ माँ
इश्वर को मैने देखा नही, जरुर तेरा अंश ही होगा माँ,
दोशला लाद्ते फिरती हुँ पर तेरे...