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निर्मल अति बल सौम्या हनुमाना
पवन पुत्र केसरी नंदन, करते जो सिया राम का सुमिरन
तुम्हरी बुद्धि बल कौशल अति सुन्दर, साधू जन आते तुम्हरी शरण।
संकट मोचन तुमको वन्दन, आन बसो प्रभु मोरे भीतर जैसे सिया राम बसे तोरे अंतर।
निपुण नीति, विशाल विवेका,सरल हृदय, तुम करुणा सागर
नाथ हरो मोरा रोग भयंकर, मोर मन अति चंचल अभिमानी, मूड़ बुद्धि, अज्ञान विशाला।
आए सरन तोरी दीन दयाला, सरनागत की करते सहाय अंजनी सुत तुम देव कृपाला।
राम प्रिय हे हनुमंता, तुम महावीरा जियत हो जैसे संता,
स्तुति तोर मैं करना चाहूं, बैल बुद्धि होय शब्द ना जानूं।
अजर अमर तुम राम दूता, सुर नर मुनि करत हैं तुमरी सेवा।
निसी दिन ध्याऊं सिया राम संग तुमको,कोटी कोटी नमन हे हनुमंता।
© a(swan)Ragini