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प्रतिक्षा
#प्रतिक्षा
"स्थिर तन चंचल मन,
अडिग प्रतिक्षा की लगन,
शम्भू जैसे पाने को गौरी का संग,
मन में प्रेम की आग है,
और होंठों पर अनुराग,
फलगुं मद मस्त ये कह रहा,
आओ मिलकर गायें फाग,
सतरंगी ये धरती हुई है,
और कोयल कुके बाग,
कानों मैं मिश्री घुल रही,
सुनकर प्रेम के राग,
फलगुं के रंग देख देख कर,
मन हो रहा बेताब,
जितना बादल बरसे प्रेम का,
लगती मन मैं उतनी आग..."
© shivshakti-thoughts
#Love&love #truelove #poem
"स्थिर तन चंचल मन,
अडिग प्रतिक्षा की लगन,
शम्भू जैसे पाने को गौरी का संग,
मन में प्रेम की आग है,
और होंठों पर अनुराग,
फलगुं मद मस्त ये कह रहा,
आओ मिलकर गायें फाग,
सतरंगी ये धरती हुई है,
और कोयल कुके बाग,
कानों मैं मिश्री घुल रही,
सुनकर प्रेम के राग,
फलगुं के रंग देख देख कर,
मन हो रहा बेताब,
जितना बादल बरसे प्रेम का,
लगती मन मैं उतनी आग..."
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