"वक्त"कहाॅं रूकता है
वक्त कहाॅं रूकता है,कभी
कभी नहीं
आगे बढ़ता हीं जाता है।
आज फिर फि़जा से धुॅंध छॅंटी है
हवा में गर्माहट है
हर ओर दिख रहा नवप्रस्फुटन
कलियाॅं चटकने लगी हैं।
मिल रही है...
कभी नहीं
आगे बढ़ता हीं जाता है।
आज फिर फि़जा से धुॅंध छॅंटी है
हवा में गर्माहट है
हर ओर दिख रहा नवप्रस्फुटन
कलियाॅं चटकने लगी हैं।
मिल रही है...