#जाने-दो..!
जाने दो जो चला गया,
#मृगछालों से जो ठगा गया।
बेवक्त जो #वक्ता बना गया,
अपनी किसी चाल से छल गया
जानने न दिया उसे भी मैंने
करने दिया मन की उसे फिर मैंने
#बेवक़्त का वक़्ता हूँ कुछ तो कहूंगा
उसकी गहरी चालों में #नुक़्ता ढूंढूंगा
जाने दिया पर माफ़ नहीं किया
मन की #ज्वाला को #बर्फ़ नहीं किया
#किस्मत नहीं अब हम दाँव खेलेंगे
वो निन्यानबे पर हम सांप बन के डसेंगे
वक़्त तू.... साथ न छोड़ना मेरा
मेरी अना है तू अहं न समझ लेना मिरा
© anamika
#मृगछालों से जो ठगा गया।
बेवक्त जो #वक्ता बना गया,
अपनी किसी चाल से छल गया
जानने न दिया उसे भी मैंने
करने दिया मन की उसे फिर मैंने
#बेवक़्त का वक़्ता हूँ कुछ तो कहूंगा
उसकी गहरी चालों में #नुक़्ता ढूंढूंगा
जाने दिया पर माफ़ नहीं किया
मन की #ज्वाला को #बर्फ़ नहीं किया
#किस्मत नहीं अब हम दाँव खेलेंगे
वो निन्यानबे पर हम सांप बन के डसेंगे
वक़्त तू.... साथ न छोड़ना मेरा
मेरी अना है तू अहं न समझ लेना मिरा
© anamika