...

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सपने
मेरे भी है कुछ सपनेें
चाह है उसे हकीकत में बदलू
लेकिन सबकी तरह मेरे भी पंख काटे गए
और काटने वाले कोई ओर नही, थे मेरे अपने
क्योंकि भाए नही उनको मेरे सपने ,
लेकिन मैं डरूंगी नही,अपने हक के लडूंगी
समाज के रीति रिवाज से बंध कर नही रहूंगी
क्योंकि सपने देखने और उन्हे सच करने का हक हर किसी का है
और इस हक के लिए मैं भी लडूंगी
क्योंकि सच करना है मुझे अपने देखे हुए सपनें।

द्वारा -निमिषा (ekadashi)








© Nimisha pandey