...

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प्रीत
हे कृष्ण...
सागर की एक बूंद सा प्रेम मैंने कर लिया है...
तेरा स्मरण मैंने कर लिया है....
अब बस तेरी बांसुरी की धुन में खो कर तेरे पग चिन्हों पर चलना रह गया है...
सागर की एक बूंद सा प्रेम मैंने कर लिया है
तेरा स्मरण मैंने कर लिया है....
अब बस सब कुछ त्याग कर मीरा सा बन ना रह गया है.....
और एक तारे की ताल पर नित्य करना रह गया है...
सागर की एक बूंद सा प्रेम मैंने कर लिया है..
तेरा स्मरण मैंने कर लिया है....
अब बस राधा सा जमुना के किनारे तेरा इंतजार करना रह गया है...
और तेरे आने पर पलकों से अश्रु गिरना रह गए हैं..
सागर की एक बूंद सा प्रेम मैंने कर लिया है...
तेरा स्मरण मैंने कर लिया है।
by -Nandini

© story writing and Kavita writing with listening