दोस्ती
के एक अरसे के इंतज़ार के बाद, कोई 'अजनबी-सा दोस्त आया,
कौन करता है "फिक्र" आजकल, मगर उसने मुझे अपना बनाया,
मुददत से जिसकी थी यूं तलाश, के वो ऐसी खुशी मेरे लिए लाया,
सलामत रखना मेरे 'दोस्त' को, जिसने मायूसी में भी मुझे हंसाया,
कौन करता है "फिक्र" आजकल, मगर उसने मुझे अपना बनाया,
मुददत से जिसकी थी यूं तलाश, के वो ऐसी खुशी मेरे लिए लाया,
सलामत रखना मेरे 'दोस्त' को, जिसने मायूसी में भी मुझे हंसाया,
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