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मेरे होने, ना होने...
मेरे होने, ना होने से फर्क़ नहीं पड़ता,
मेरे ग़म से दिल टूट के नहीं बिखरता।
मेरी ख़ामोशियाँ उसके लिए हैं सुकून,
मेरे लफ़्ज़ों से भी दिल नहीं पिघलता।
खिलौने सी है मेरे जज़्बात की हालत,
कुछ भी करूँ मगर मन नहीं बहलता।
मुझसे ज़्यादा फ़िक्र उसे ज़माने की है,
मेरी यादों से कभी दिल नहीं धड़कता।
सीख भी जा काग़ज़ी दुनियादारी 'धुन',
बिना लेन-देन कोई बात नहीं समझता।
© संगीता साईं 'धुन'
मेरे ग़म से दिल टूट के नहीं बिखरता।
मेरी ख़ामोशियाँ उसके लिए हैं सुकून,
मेरे लफ़्ज़ों से भी दिल नहीं पिघलता।
खिलौने सी है मेरे जज़्बात की हालत,
कुछ भी करूँ मगर मन नहीं बहलता।
मुझसे ज़्यादा फ़िक्र उसे ज़माने की है,
मेरी यादों से कभी दिल नहीं धड़कता।
सीख भी जा काग़ज़ी दुनियादारी 'धुन',
बिना लेन-देन कोई बात नहीं समझता।
© संगीता साईं 'धुन'
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