...

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कोई नहीं जानता था
मेरी किस्मत कुम्भकरणी नींद मे अब तक़ सोई हुई है पाँव पसार कर

वो कब बदलेंगी करवट कोई भी नहीं जानता था

मै जानता हुँ मेरी किश्ती क़ो डुबोया है इन आँधियो ने
इन आँधियो क़ो मैंने ही बुलावा भेजा था...अच्छा हुआ ये राज़.कोई नहीं जानता था