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Koshish
रूका हु ,पर थका नही हु
थमा हु, पर टुटा नही हु
मानता हु हारा हु,पर फीर भी हारा नही हु।।।।
अभी भी उम्मीददो कि रोशनी से,
सपनो का घर जलाऐ रखा है,
बस मेहनत की ईटो से,
उसकी निव बिछा रहा हु।।।
अभी बहुत सि बरसाते जेलनी बाकी है,
नजाने कितने सूखे दिन, तो कितनी सुनी राते अकेले काटी है।।।
लेकिन अभीभी बूझती हुई सी
एक आश है,
नजाने कयो मंजिल लगती सि पास है।।।।।
ये निराशा के बादल कभी तो हंटेगे
देर से ही सही
मंजिल तो मिलेगी
सपने भी पूरे होंगे।।।।
थमा हु, पर टुटा नही हु
मानता हु हारा हु,पर फीर भी हारा नही हु।।।।
अभी भी उम्मीददो कि रोशनी से,
सपनो का घर जलाऐ रखा है,
बस मेहनत की ईटो से,
उसकी निव बिछा रहा हु।।।
अभी बहुत सि बरसाते जेलनी बाकी है,
नजाने कितने सूखे दिन, तो कितनी सुनी राते अकेले काटी है।।।
लेकिन अभीभी बूझती हुई सी
एक आश है,
नजाने कयो मंजिल लगती सि पास है।।।।।
ये निराशा के बादल कभी तो हंटेगे
देर से ही सही
मंजिल तो मिलेगी
सपने भी पूरे होंगे।।।।
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