घड़ी के विचार...!!!
#घड़ीकेविचार
चलती हूँ मैं निरंतर, न रुकती, न ठहरती,
क्षण-क्षण का हिसाब, मैं हर पल कहती।
सुइयों के संग दौड़ती, अनगिनत रातें,
दिन का उजाला, और वो शाम की बातें।।१।।
हर टिक-टिक में छुपा, एक नया सफर,
वक्त के साथ चलते, मंज़िलें, रहगुज़र।
घड़ी हूँ मैं, मगर देखती हूँ...
चलती हूँ मैं निरंतर, न रुकती, न ठहरती,
क्षण-क्षण का हिसाब, मैं हर पल कहती।
सुइयों के संग दौड़ती, अनगिनत रातें,
दिन का उजाला, और वो शाम की बातें।।१।।
हर टिक-टिक में छुपा, एक नया सफर,
वक्त के साथ चलते, मंज़िलें, रहगुज़र।
घड़ी हूँ मैं, मगर देखती हूँ...