"ख़ुदा से मोहब्बत"
ज़ीने का जब कोई था न सहारा
और मिल न रहा था कहीं से भी
कोई किनारा!!
थे कभी जब बेकस शब और सहर
मेरे और हर लम्हा इन आंखों से फकत़
बहते ही रहे अश्कों की धारा!!
ऐ खुदा उन लम्हों में तूने ही थामा था
मुझे,और ये एहसास कराया मुझे के
अब नहीं हूं मैं तन्हा और हर शय से हारा!!
तेरे होने के एहसास ने मुझे भर दिया है
बेहद सुकून और अपनत्व से और अब
मैं भी मुस्कुरा कर जीने लगी हूं के तू ही
तो है मेरा खुदा और पिता और यारा।
© Deepa🌿💙
और मिल न रहा था कहीं से भी
कोई किनारा!!
थे कभी जब बेकस शब और सहर
मेरे और हर लम्हा इन आंखों से फकत़
बहते ही रहे अश्कों की धारा!!
ऐ खुदा उन लम्हों में तूने ही थामा था
मुझे,और ये एहसास कराया मुझे के
अब नहीं हूं मैं तन्हा और हर शय से हारा!!
तेरे होने के एहसास ने मुझे भर दिया है
बेहद सुकून और अपनत्व से और अब
मैं भी मुस्कुरा कर जीने लगी हूं के तू ही
तो है मेरा खुदा और पिता और यारा।
© Deepa🌿💙