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मजदूर बनाम राजनीति (CORONA TIME)
क्यों हो रही है राजनीति मजबूरी पर
क्यों आ रही है विपत्ति मजदूरी पर

जिन्होंने राजाओं के महलों को सींचा था अपने खून से, क्यों नहीं आ रही है शर्म उन्हें (राजाओं को) अपने बाहुबल पर

क्यों नचा रहे है ये नेहरू के नैतिक मूल्यों से मदारी इन्हे अपने डमरू पर

क्यों नहीं रार और तकरार है इनके लिए अब कैम्यूनिस्टो की जुबानी पर

क्यों नहीं अब है अटल का सामर्थ्य इनके पक्ष पर

क्या कहते हो इतिहासकार और मेरे प्यारे कवि जी क्यों नहीं आपकी कलम गुनगुनाती है अब इनकी लाचारी पर

देखो, आओ, मेरे प्यारे नेताजी, दिखता हूं मैं आपको, राजनीति की हसी भी इनके दर्द पर

ये लहूलुहान मन, भूख से भरे पेट लिए, बिना थके मिलो चलने वाले क्यों नहीं है आज आपकी राजनीति के कंधो पर

सामर्थ्य दिखाते हो अपना, तो आओ देशभक्तों देखते है
तुम्हारा सामर्थ्य भी कहां तक टिक पाएगा इन पर

आजमाइश करो अपने सामर्थ्य की भी एक दिन चलकर तो देखो इनकी राह पर

ये भारत के मजदूर क्या जोर इनका भाग्य पर,

दर्द- पीड़ा सहना, और चुप बराबर रहना इतना सामर्थ्य इनका अपनी किस्मत पर

क्या कहे, किससे कहे, यह सवाल भी तो है भारी इन पर,

अंग्रेजो से आजाद हुए तो अब राजनीति है भारी इन पर
© PARTH