...

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झरनों जैसे...
झरनों जैसे बदलते हमारे रास्ते,
पल पल मय जैसे बनते नये इरादे...

अढिग हो लक्ष्य जैसे अचल पर्वतें,
हर क्षण बीते जैसे मुडती करवटें...

मासूमियत से भरी हो हमारी हरकतें,
ऊंच नीच के पल हैं जैसे सरकती सल्वटें...

मकाम हो ऐसा जो दिल को दे राहतें,
मंज़िले हो जिससे पूरी हो अधूरी बातें...
© mor_pankhee🦚