...

6 views

जयश्रीराम 🙏
काहे का शोर है ,
राम कहीं और हैं

धरती न आकाश में ,
भूख में न प्यास में
राम श्वास -श्वास में ,
रमते हैं विश्वास में

बस एक चितचोर है ,
थामे जो धर्म डोर है

रूप न श्रृंगार में ,
न जलते अंगार में
न गंग -जमुन धार में ,
न वेद के विस्तार में

मुस्कराए जो प्यार में ,
देखो चहुओर है

आँगन न गाँव में ,
न केवट की नाव में |
न शास्त्र के प्रभाव में ,
न उपवन की छाँव में

रहे भक्ति भाव में ,
जग के सिरमौर हैं

न फूल ,फल ,कंद में ,
न गीत ,ग़ज़ल ,छंद में
न काव्य के प्रबंध में ,
न योग के अनुबंध में

राम तो स्वच्छंद है ,
जहाँ प्रेम पोर -पोर है
जय_श्रीराम 🚩
#writco #mythology
#लेखनीअल्पुकी
© अlpu