तोड़ दो तुम इस जाति, धर्म को
#मेरा_समाज
देख रहा मैं, हर समाज में
बिखरे- बिखरे लोग आपस में रहते हैं
धर्म, जाति, भेद- भाव में उलझे रहते हैं
आपस मे एक को नीच एक को उच्च बाते हैं
जाति, धर्म की फैली नफरत छोटे
वर्ग को बहुत सताती हैं
जाति, धर्म, कैसे तोडू मैं
मुझे समझ न आ रहा है?
जाति, धर्म तोड़ने की बात करता मैं
लोग मुझे पे हावी करने लगते हैं|
तोड़ दो तुम इस जाति, धर्म को
यह हैं आपस में बाटँने का यंत्र
मेरा देश भी...
देख रहा मैं, हर समाज में
बिखरे- बिखरे लोग आपस में रहते हैं
धर्म, जाति, भेद- भाव में उलझे रहते हैं
आपस मे एक को नीच एक को उच्च बाते हैं
जाति, धर्म की फैली नफरत छोटे
वर्ग को बहुत सताती हैं
जाति, धर्म, कैसे तोडू मैं
मुझे समझ न आ रहा है?
जाति, धर्म तोड़ने की बात करता मैं
लोग मुझे पे हावी करने लगते हैं|
तोड़ दो तुम इस जाति, धर्म को
यह हैं आपस में बाटँने का यंत्र
मेरा देश भी...