जीवन
नींद ए मकान हमें मिला नहीं
साथ सब थे पर अपना कोई मिला नहीं
अपनों को अपनों से भी प्यारा रखा
और गैरों को भी अपनों की तरह रखा
धोखा दिया...
साथ सब थे पर अपना कोई मिला नहीं
अपनों को अपनों से भी प्यारा रखा
और गैरों को भी अपनों की तरह रखा
धोखा दिया...