...

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bold strokes of a confident hand
मेरे नसीब में जो रिश्ते हैं, वो रिश्ते हैं
जिनमें कि गांठ है, छोटी सी या बहुत बड़ी,
कुछ वक्त ने बना दी, कुछ हालात ने,
कुछ मैंने भी कोशिश नहीं की उन गांठों को खोलने की,
वो क्या रब्त निभाना, की जो सिर्फ आपको ही निभाना,
साथी को अखरता ही नहीं हो साथी का मिट जाना,
और फिर वो निभाएं भी क्यों, जब उन्हें भाता ही नहीं तुम्हारा जिंदगी में आना,
सीधी सी बात है वो मुझे नहीं चाहते, और मैं उसके लिए दीवाना
तो दिल को समझा लूं कि ये खता...