...

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प्रभु प्रेम और समर्पण
नैनों से दिखाई ना दे.....
मन में समाई रहती है......
प्रभु प्रेम और सुंदर छवि...
रग रग में समाई रहती है....
हे!प्राणों का आधार, सर्वेश्वर..
शरणागति आपकी.......
भक्ति में ही शक्ति और....
मुक्ति दिखाई देती है......






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