आसमां ये तो बता दें जरा!
आसमां ये तो बता दें जरा,
गैर वो हो गई या हम हो गए।
हम सफर में दूर तो वो हो रही थी,
गैर क्यूं समझा हमको पहले हरे थे , अब मुरझा गए।।
प्यासे दिल उसके तड़प रहा था,
वो दूसरों से मोहब्बत कर बैठी।
इल्जाम हम पर लगाया, वो बेरहम दोस्ती,
वो हमसे बगावत में यूं ही सक कर बैठी।।
हालात ऐसे भी थे, वो हमें हर कदम पर नफरत करती रही।
छोटी- छोटी बातों में वो गुस्सा करती रही।
भला कैसे वो समझेगी हमें, उसके चेहरे का रंग बदल गया था।
हम मंजिल सजाए बैठे थे इंतजार में, वो ना मिली दिल मेरा रोया था।
नजर किसी ओर पर था उसका, वो गुमसुम होकर सजाई हुई थी।
जब हालात बिगड़ते देखा उसने, वो कुछ सवाल भी नहीं पूछा।
क्या हुआ मेरे दोस्त हम दोनों के इस सफर में।
कैसे काट रहे हो अंधेरी राते मेरे बिना, वो ये भी नहीं पूछा।।
कुदरत के नाम पर जी रहा था, उस समय अकेला रहकर।
जिस मंजिल की चाह थी वो टूट गई।
मै उसके ही सूरत देखकर जीता रहा, अकेले ही सफर में।
वो हमसे दूर होते चली गई, मुड़कर ना देखी वो हरजाई।।
© writer manoj kumar🖊️💐💔💔
गैर वो हो गई या हम हो गए।
हम सफर में दूर तो वो हो रही थी,
गैर क्यूं समझा हमको पहले हरे थे , अब मुरझा गए।।
प्यासे दिल उसके तड़प रहा था,
वो दूसरों से मोहब्बत कर बैठी।
इल्जाम हम पर लगाया, वो बेरहम दोस्ती,
वो हमसे बगावत में यूं ही सक कर बैठी।।
हालात ऐसे भी थे, वो हमें हर कदम पर नफरत करती रही।
छोटी- छोटी बातों में वो गुस्सा करती रही।
भला कैसे वो समझेगी हमें, उसके चेहरे का रंग बदल गया था।
हम मंजिल सजाए बैठे थे इंतजार में, वो ना मिली दिल मेरा रोया था।
नजर किसी ओर पर था उसका, वो गुमसुम होकर सजाई हुई थी।
जब हालात बिगड़ते देखा उसने, वो कुछ सवाल भी नहीं पूछा।
क्या हुआ मेरे दोस्त हम दोनों के इस सफर में।
कैसे काट रहे हो अंधेरी राते मेरे बिना, वो ये भी नहीं पूछा।।
कुदरत के नाम पर जी रहा था, उस समय अकेला रहकर।
जिस मंजिल की चाह थी वो टूट गई।
मै उसके ही सूरत देखकर जीता रहा, अकेले ही सफर में।
वो हमसे दूर होते चली गई, मुड़कर ना देखी वो हरजाई।।
© writer manoj kumar🖊️💐💔💔