...

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ख़्वाब
हर ख़्वाब की भी एक उम्र होती है
हर उम्र के अलग ही ख़्वाब होते है
और बक्त रहते ये पूरे हो गए तो ठीक
नहीं तो इनकी भी एक्सपायरी होती है

बचपन में नया बस्ता भी ख़्वाब था
नया जूता भी आसमां से कम न था

फिर , घर बसाने पैसा कमाने..
फिर नौकरी के ख़्वाब आने लगे...