अनकही पुराने दास्ता
कई रात गुजारी है इस अंधेरे में तुम थोड़ा सा नूर लाओगे।
मेरे तकिए गीले है इन आसूंओं क्या तुम मुझे अपने गोद मे सुलाओगे ।
सुना है बाग है...
मेरे तकिए गीले है इन आसूंओं क्या तुम मुझे अपने गोद मे सुलाओगे ।
सुना है बाग है...