एक चाहत अधूरी-सी
सारे शहर में आग लगी थी
हम मुट्ठी भर तपन को तरसते रहे
उम्र के काफी लंबे पड़ाव तक हम
पल भर प्रेम को तरसते रहे
नाना के बागो में जब भी हम
पहुँच जाते थे उछलते जब भी हम
लाठी की वो मार को हम तरसते...
हम मुट्ठी भर तपन को तरसते रहे
उम्र के काफी लंबे पड़ाव तक हम
पल भर प्रेम को तरसते रहे
नाना के बागो में जब भी हम
पहुँच जाते थे उछलते जब भी हम
लाठी की वो मार को हम तरसते...