🕸️ यादों की खिड़की 🕸️
यादों की खिड़की के दरवाजे अब बन्द होते जा रहे हैं।
जितने भी अहसास थे मन में अब कम होते जा रहे हैं।।
क्या तो रिश्ते और क्या ही मोहब्बत सब दिखावा भर है।
हर इंसान के जज़्बात झूठे और बेमानी होते जा रहे हैं।।
कारण बस इतना है कोई किसी को अपना नहीं समझता।
सब ही दिल ही दिल में नफ़रत के बीज बोते जा रहे हैं।।
...
जितने भी अहसास थे मन में अब कम होते जा रहे हैं।।
क्या तो रिश्ते और क्या ही मोहब्बत सब दिखावा भर है।
हर इंसान के जज़्बात झूठे और बेमानी होते जा रहे हैं।।
कारण बस इतना है कोई किसी को अपना नहीं समझता।
सब ही दिल ही दिल में नफ़रत के बीज बोते जा रहे हैं।।
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