...

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वक्त का केसी है यह लीला...
वक्त की ऐसी ये जंजीर है।
जहा जाना है मुझे अपनी मंजिल पर...
पर नियति का ऐसा यह खेल की
पहुंच गई में अपनी मंजिल से काफी दूर
जहासे निकालना बहुत कठिन है।
पर हार ना नहीं है पगली...
अभी जिंदगी खेलनी बाकी है मेरे दोस्त...

© Rajvi