...

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मन की सोच…..
मिले अगर! मौक़ा मुझको,
यह दुनियाँ को बदलने का
तो पहले मैं ख़ुदको बदलना चाहूँगा ।
जानना चाहता हूँ मैं,
ख़ुदको कि मैं क्यों हूँ ऐसा
जो यह सब बदलना मैं चाहता हूँ ।

मन की अवस्था जो मुझको चलाती,
मैं जानना चाहता हूँ इस मन की शक्ति को…
कैसे मैं चल रहा हूँ इन पैरों पे,
कैसे जान सकता हूँ मेरे अंदर की शक्ति को…

हैं ना कमाल की बात!
इंसान कैसे भाग रहा है पैसे के पीछें…
और माया भाग रही है इंसान के पीछें,
रिश्ते नाते, और जी रहा है दुख सुख के नीचे…
यह मन ही तो है जो इंसान को!
किसी ना किसी लालच के लिए खिचिए…

इसी लिये “जिंद” मैं तुझे बोल रहा हूँ,
दुनिया की छोड़ पहले ख़ुद को जान ले…
जिस भगवान ने बनाया है तुझको,
कभी उसको भी सचे मन से पहचान ले…


#जलते_अक्षर


© ਜਲਦੇ_ਅੱਖਰ✍🏻