...

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कोशिशें…
कोशिश कर रहा हूँ मैं,
मेरी कोशिश रंग लाएगी…
उसको प्यार करता हूँ,
एक दिन वो जान जाएगी…
लिखता हूँ उसके लिये,
जब भी वो गुनगुनाती है…
देख इश्क़ की बूँद को वो,
मन ही मन में मुस्कुराती है…

पेड़ की छाया जैसी है वो,
जो सकून और एहसास दिलाती है…
चेहरे की ख़ूबसूरती ऐसी!
कि सूरज की तपिश भी उसे चाहती है…
क़रीब से जब भी हवा गुज़रती है उसके,
तो वो भी शर्मा जाती है…
कल बादलों को भी आते देख,
बारिश भी उसको छूना चाहती है…

कोशिश है मेरी!
कि मोहब्बत की किताब में आँसू ना लिखे जाये…
वो जैसे भी रहे अपनी ज़िंदगी में,
बनावटी ख़्वाब ना लिखे पाये…
तारो की चमक है उसकी आँखों में,
दूसरो को रोशन करना चाहती है…
फ़िज़ाओं के फूलों से लेकर ख़ुशबू ,
ज़िंदगी खूबसूरत बनाना चाहती है…

प्यास है उसे ढूँढ रही है कुछ,
आत्मा है साफ़ उसकी! पूछ रही है कुछ…
मैं सामने तो आना चाहता हूँ,
मगर! मुझे देखकर क्या होगी वो खुश…
करती है कोशिश वो भी,
शायद ख़ुद की पहचान करना चाहती है।
“जिंद” अनजान हूँ मैं उसके लिये,
क्या वो भी मुझसे बात करना चाहती है।


#जलते_अक्षर


© ਜਲਦੇ_ਅੱਖਰ✍🏻