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लिखे एहसास,कागज़ की अलग ही है बात
कागज़ पर लिखा स्यायही की कलम से,
हर शब्द उस लम्हे का गवाह होता है,
जो जज्बात कभी लिखे गए थे,
वही उस समय दिल में थे,
मिटा नहीं सकता , मुकर नहीं सकता,
वक्त गुजर जाता हैं, लिखें उन शब्दो को बदल नहीं सकता,
एहसासो का वो किरदार उस लिखे लम्हे में भी,
जितनी बार उसे पढ़ो उसमे ठहर जाता हैं ,
लिखे एहसास,कागज़ की अलग ही है बात
और हर बार उसमे वही प्यार नजर आता हैं।
© चांद
हर शब्द उस लम्हे का गवाह होता है,
जो जज्बात कभी लिखे गए थे,
वही उस समय दिल में थे,
मिटा नहीं सकता , मुकर नहीं सकता,
वक्त गुजर जाता हैं, लिखें उन शब्दो को बदल नहीं सकता,
एहसासो का वो किरदार उस लिखे लम्हे में भी,
जितनी बार उसे पढ़ो उसमे ठहर जाता हैं ,
लिखे एहसास,कागज़ की अलग ही है बात
और हर बार उसमे वही प्यार नजर आता हैं।
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