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मृत्यु और ठिठोली ✍️✍️✍️
मृत्यु और ठिठोली

तुम पूरा जीवन फूँक दिए घर और कुटुंब भलाई में !
लड़कों बिटिया की खातिर सोने चांदी की ढलाई में !
सबतो ढाला भूल गए भगवद पग पर पथ धरने को !
सुमिरे प्रभुको अंतिम पल में बचा नहीं कुछ करने को !
माया माया करते करते सब पुण्य कर्म तुम खो बैठे !
ईश्वर से मौका एक मिला बेशर्म हाथ तुम धो बैठे !
मनुष् में राघव नहीं दिखे मानव में दानव तुम देखा !
है मंदिर में अब कोई नहीं अब भीड़ मिले मदिरा ठेका !
प्रभु सूरत देखि नहीं जाती पैसे पैसे का भान तुम्हे !
हर पल काल तुम्हे ढूंढें रत्ती भर नहीं है ध्यान तुम्हे !
आधा जीवन बीत गया प्रभु का पल भर ध्यान नहीं !
सच्चे अर्थों में बोलूं तो तुमसा है कोई बेईमान नहीं !
जिन खातिर भूले राम नाम वो भूल तुम्हे भी जाएंगे !
खा पी कर घर से करने तेरे अंतिम दर्शन आएंगे !
स्वाँस तुम्हारी आज रुके पल भर में तुम्हे जलाएंगे !
जीवन भर करें बुराई तेरी बस एक दिन भला बताएँगे !
दो कौड़ी के लोगो की खातिर नाहक प्रभु को तुम भूले !
अब भी समय है हाथ बढ़ा प्रभु स्वयं कहेंगे मै हूँ रे !
समय ख़तम ना हो जाये और प्राण निकल जाए तेरे !
चल छल प्रपंच से हाथ जोड़ अब साथ राम के हो ले रे !

© VIKSMARTY _VIKAS✍🏻✍🏻✍🏻