जज़्बात
रुक जाते हैं अब तो
बड़े ख्वाब देखने से
दर्द हार से नहीं
अब तो टूटे हुए सपनों से
लग ने लगा है
फिर भी हिम्मत टूटा नहीं
सपने बुनते रहते है चुपके चुपके ही सही
अनकहे जज्बात को दिल के कलम से
© Dr. Jyoti Prakash Rath
बड़े ख्वाब देखने से
दर्द हार से नहीं
अब तो टूटे हुए सपनों से
लग ने लगा है
फिर भी हिम्मत टूटा नहीं
सपने बुनते रहते है चुपके चुपके ही सही
अनकहे जज्बात को दिल के कलम से
© Dr. Jyoti Prakash Rath
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