उस शाम फिर एक मुज्दा घर आता है
उस शाम फिर एक मुज्दा घर आता है
उम्मीदों का महल खून से भर जाता है
जिसे पाने की ख्वाइश ताउम्र रही मेरी
पल भर में सारा ख़्वाब बिखर जाता है
वो सामने खड़ा था एक फासला लेकर
फासले में आखरी शाम गुजर जाता है
मेरी खुशी फिर खुदकुशी ने बदल गईं
जिसे देख के सारा दिन सवर जाता...
उम्मीदों का महल खून से भर जाता है
जिसे पाने की ख्वाइश ताउम्र रही मेरी
पल भर में सारा ख़्वाब बिखर जाता है
वो सामने खड़ा था एक फासला लेकर
फासले में आखरी शाम गुजर जाता है
मेरी खुशी फिर खुदकुशी ने बदल गईं
जिसे देख के सारा दिन सवर जाता...